UPI Transaction, यूपीआई आईडी में ये करेक्टर हैं तो ट्रांजेक्शन में हो सकती है दिक्कत, 1 Feb से हो रहा है बदलाव

UPI Transaction 1 फरवरी, 2025 से किसी भी UPI पेमेंट ऐप को ट्रांजैक्शन आईडी बनाने में @, $, &, # जैसे विशेष अक्षरों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। इसका सीधा अर्थ यह है कि जिन यूपीआई ऐप्स के जरिए लेन-देन करने पर विशेष अक्षरों वाली ट्रांजैक्शन आईडी बनती हैं, उन्हें सेंट्रल सिस्टम स्वीकार नहीं करेगा और ट्रांजैक्शन असफल हो जाएंगे।

UPI Transaction
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NPCI new rules for UPI:

आज की इस तेज़ रफ्तार जिंदगी में UPI हमारी दैनिक दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यूपीआई के आगमन से लेनदेन पहले की तुलना में काफी सुविधाजनक हो गया है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे देश में प्रतिदिन सैकड़ों करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हो रहे हैं, जिनके माध्यम से हर दिन हजारों करोड़ रुपये का आदान-प्रदान किया जा रहा है। वर्तमान समय में केवल दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े महानगर ही नहीं, बल्कि भारत के छोटे से छोटे गांवों में भी यूपीआई का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, 1 फरवरी से यूपीआई नियमों में एक बड़ा बदलाव होने वाला है, जिसका सीधा प्रभाव यूपीआई ट्रांजैक्शन पर पड़ेगा।

1 फरवरी से बदलने जा रहा है यूपीआई ट्रांजैक्शन का नियम:

1 फरवरी, 2025 से कोई भी UPI पेमेंट ऐप ट्रांजैक्शन आईडी जनरेट करने के लिए @, $, &, # जैसे विशेष अक्षरों का उपयोग नहीं कर सकेगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि जिन यूपीआई ऐप्स के जरिए लेन-देन करने पर विशेष अक्षरों वाली ट्रांजैक्शन आईडी बनाई जाती हैं, उन्हें सेंट्रल सिस्टम स्वीकार नहीं करेगा, जिससे ट्रांजैक्शन विफल हो जाएंगे। इसका प्रभाव आम लोगों पर भी पड़ेगा। यदि आप किसी ऐसे UPI ऐप का उपयोग कर रहे हैं जो ट्रांजैक्शन आईडी बनाने में विशेष अक्षरों का प्रयोग करता है, तो ऐसी स्थिति में आप यूपीआई से भुगतान नहीं कर सकेंगे।

ट्रांजैक्शन आईडी बनाने के लिए अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर का ही कर सकते हैं इस्तेमाल:

असल में, यूपीआई ऑपरेटर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ट्रांजैक्शन आईडी बनाने की प्रक्रिया को मानकीकृत करना चाहता है। इसी कारण NPCI चाहता है कि सभी पेमेंट ऐप्स ट्रांजैक्शन आईडी जनरेट करने में केवल अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर का उपयोग करें और विशेष अक्षरों के प्रयोग से बचें। कुछ विशेषज्ञों ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि NPCI का यह नियम विशेष रूप से मर्चेंट अकाउंट होल्डर्स के लिए लागू किया जा रहा है, लेकिन अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसका प्रभाव आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा।

एनपीसीआई ने सभी पेमेंट ऐप्स को साफ शब्दों में दिए निर्देश:

एनपीसीआई ने देश में सेवाएं प्रदान करने वाले सभी यूपीआई ऑपरेटरों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उन्हें यूपीआई ट्रांजैक्शन आईडी बनाने के लिए केवल अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर का उपयोग करना होगा। अन्यथा, सेंट्रल सिस्टम उनके ऐप के माध्यम से किए जाने वाले किसी भी यूपीआई ट्रांजैक्शन को स्वीकार नहीं करेगा, जिससे वे असफल हो जाएंगे। एनपीसीआई के नए दिशानिर्देशों का पालन करने की पूरी जिम्मेदारी पेमेंट ऐप्स की होगी। हालांकि, यदि वे जल्द से जल्द इन नए नियमों को लागू नहीं करते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव उनके उपयोगकर्ताओं पर पड़ेगा।

एनपीसीआई ने 9 जनवरी को जारी किया था सर्कुलर:

9 जनवरी 2025 को जारी यूपीआई सर्कुलर के अनुसार, “28 मार्च 2024 के OC 193 में यूपीआई पेमेंट ऐप्स को ट्रांजैक्शन आईडी में केवल अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर का उपयोग करने की सलाह दी गई थी। यह यूपीआई टेक्निकल स्पेसिफिकेशन्स का पालन सुनिश्चित करने के लिए है। हम बेहतर कंप्लायंस के लिए इकोसिस्टम के साथ काम कर रहे हैं। नियमों की गंभीरता को देखते हुए, 1 फरवरी 2025 से ट्रांजैक्शन आईडी में किसी भी स्पेशल कैरेक्टर की अनुमति नहीं होगी, और ऐसे लेनदेन को सेंट्रल सिस्टम रिजेक्ट कर देगा।

एनपीसीआई का परिपत्र क्या कहता है?

यदि आप लेन-देन के लिए UPI पर निर्भर हैं, तो यह अपडेट आपके लिए महत्वपूर्ण है। NPCI के सर्कुलर के मुताबिक, अब UPI ID में कोई विशेष अक्षर नहीं होना चाहिए। 1 फरवरी से UPI ID में केवल संख्याएँ (0-9) और अक्षर (A-Z) ही स्वीकार किए जाएंगे।

वर्तमान में, कई उपयोगकर्ताओं की यूपीआई आईडी में विशेष अक्षर शामिल हैं, और यूपीआई सेवाओं का उपयोग जारी रखने के लिए उन्हें अपनी आईडी जल्द से जल्द अपडेट करनी होगी। इस कदम का उद्देश्य डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना और यूपीआई प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित रखना है।

एनपीसीआई ने 9 जनवरी को यह सर्कुलर जारी करते हुए स्पष्ट किया कि इस नियम का कड़ाई से पालन किया जाना आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि यदि आपकी यूपीआई आईडी में विशेष वर्ण शामिल हैं, तो 1 फरवरी से आप भुगतान नहीं कर पाएंगे, और आपके लेन-देन स्वतः असफल हो जाएंगे।

हालांकि, अधिकांश बैंक और भुगतान प्लेटफॉर्म पहले ही इस बदलाव को लागू कर चुके हैं, लेकिन जिन उपयोगकर्ताओं ने अब तक अपनी आईडी अपडेट नहीं की है, उन्हें निर्धारित समय सीमा से पहले ऐसा करना आवश्यक होगा।

 

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